दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गुणसूत्र की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी। यदि आप इसके बारे में संपूर्ण जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए। पोस्ट को पूरा पढ़ने पर आपको कोई और doubt होता है, तब आप कमेंट करके अपने डाउट (doubt) को क्लियर कर सकते हो।
गुणसूत्र डीएनए (DNA) का बना होता है। जो कि हिस्टोन नामक प्रोटीन (Protein) के चारों ओर कसकर कुंडलित होता है।
गुणसूत्र किसे कहते हैं?
प्रत्येक जीवों व वनस्पतियों की कोशिकाओं में कोशिश विभाजन के समय केंद्रक में कुछ मोटे धागे के समान रचनाएं दिखाई देती हैं, जिनको गुणसूत्र (Chromosome) कहते हैं।
केंद्रक, कोशिश विभाजन में हिस्सा/भाग लेता है और यह कोशिश के अंदर होने वाली सभी उपापचयी व रासायनिक क्रियाओं को कंट्रोल (Control) करता है। गुणसूत्र में कोशिश विभाजन नहीं होता है। गुणसूत्र केंद्रक में क्रोमैटिन के रूप में विद्यमान रहता है। इसमें आनुवंशिक गुण होते हैं, जो कि डीएनए अणु के रूप में माता-पिता से संतानों में जाते हैं। इसको आनुवंशिक लक्षणों का वाहक के नाम से भी जाना जाता है।
गुणसूत्र की खोज
गुणसूत्र की संरचना
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से देखने पर प्रत्येक गुणसूत्र में निम्न भाग दिखाई देते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
पेलिकल
मैट्रिक्स
क्रोमोनिमेटा
प्रत्येक गुणसूत्र में मैट्रिक्स के अंदर दो क्रोमोनिमेटा (Chromonimeta) होते हैं।
यह आपस में सर्पिल अवस्था में लिपटे रहते हैं अर्थात् जिस तरह से दो सर्प आपस में लिपटे होते हैं, उसी तरह से यह भी आपस में लिपटे रहते हैं। क्रोमोनिमेटा बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इस पर जीन उपस्थित रहते हैं। इसके अतिरिक्त क्रोमोनिमेटा पर अनेक उभार पाए जाते हैं।
क्रोमोमियर्स
क्रोमोनिमेटा पर दिखने वाले उभार को ही क्रोमोमियर्स ( Chromomeres) कहते हैं।
इन उभार के कारण ही इनका आकार मढ़ि के आकार का होता है। कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी बताया था, कि यह उभार न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण व जमाव के कारण बनते हैं और कुछ वैज्ञानिकों ने कहा था, कि यह क्रोमोनिमा सूत्र के अधिक घने कुण्डल बन जाने के कारण बनते हैं, एक क्रोमोनिमेटा पर क्रोमोमियर्स की संख्या या उभारों की संख्या हजारों तक हो सकती है।
सेंट्रोमीयर
गुणसूत्र की सबसे छोटी व लम्बी भुजा जिस स्थान पर मिलती है, उस स्थान को सेंट्रोमीयर (Centromere) कहा जाता है।
सेंट्रोमीयर को हिंदी भाषा में गुणसूत्रबिंदु कहते हैं। सेट्रोमीयर की स्थिति के आधार पर अकेंद्री, अंत:केंद्री, अग्रकेंद्री, मध्यकेंद्री व उपमध्यकेंद्री होते हैं।
सेंट्रोमीयर स्थान संकीर्णन के रूप में छोटा है, इसलिए इसको प्राथमिक संकीर्णन के रूप में जानते हैं। कुछ गुणसूत्रों में प्राथमिक संकीर्णन या सेंट्रोमीयर के अतिरिक्त दूसरा संकीर्णन भी पाया जाता है, जिसको द्वितीय संकीर्णन कहते हैं। द्वितीय संकीर्णन की संख्या कभी-कभी एक से अधिक होती है।
सैटेलाइट
कुछ गुणसूत्रों के सिरों पर गोलाकार लंबी अथवा गुंडी के आकार की रचना पायी जाती है, जिसे सैटेलाइट (Satellite) करते हैं।
गुणसूत्रों की आकृति
गुणसूत्र को, गुणसूत्र भुजा की लंबाई व सेंट्रोमीयर की स्थित के आधार पर चार समूहों में बांटा गया है, जो कि निम्न प्रकार से है-
अग्र केन्द्रकी गुणसूत्र
इस तरह के गुणसूत्र को बहुत कम प्रजातियों में देखा गया है। यह कोशिश विभाजन की एनाफेज (Anaphase) अवस्था में अंग्रेजी के अक्षर 'I' के समान दिखाई देते हैं।
उप-अन्तकेन्द्रकी या अग्रबिंदु गुणसूत्र
गुणसूत्र के एक सिरे पर सेंट्रोमीयर इस तरह से स्थित होते हैं कि इनकी एक बहुत छोटी भुजा व एक असाधारण लंबी भुजा होती है। जिसमें छोटी भुजा को P भुजा व लंबी भुजा को Q भुजा कहते हैं। यह गुणसूत्र कोशिश विभाजन की मेटाफेज (Metaphase) अवस्था में अंग्रेजी के अक्षर 'J' के समान दिखाई देते हैं।
उप-मध्यकेन्द्रकी गुणसूत्र
इनमें सेंट्रोमीयर बीच में या बीच से थोड़ा दूर स्थित होते हैं। इनमें एक छोटी व एक बड़ी भुजा होती है। यह कोशिश विभाजन के एनाफेज (Anaphase) अवस्था में अंग्रेजी के अक्षर 'L' के समान दिखाई देते हैं।
मध्यकेन्द्रकी गुणसूत्र
मध्यकेन्द्रकी गुणसूत्र के दो बराबर आकार की भुजाएं होती हैं। यह कोशिश विभाजन के एनाफेज (Anaphase) अवस्था में अंग्रेजी के अक्षर 'V' के समान दिखाई देते हैं।
गुणसूत्र के कार्य
- इसका मुख्य काम आनुवंशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाना है।
- गुणसूत्र डीएनए को उलझने और क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं।
- गुणसूत्र विकास, प्रजनन, मरम्मत और पुनर्जनन प्रक्रिया में एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करते हैं। जो कि उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
- गैर-हिस्टोन और हिस्टोन प्रोटीन जीन नियमन में सहायता करते हैं।
- प्रत्येक गुणसूत्रों में हजारों जीन उपस्थित होते हैं, जो कि शरीर में उपस्थित कई प्रोटीनों (Proteins) के लिए सटीक रूप से कोड करते हैं।
- कोशिश विभाजन (Cell division) के समय सेंट्रोमीयर से जुड़े स्पिंडल फाइबर गुणसूत्र (Chromosome) की गति में सहायता करते हैं।
गुणसूत्रों की संख्या सूची
जाति | गुणसत्रों की संख्या |
---|---|
प्याज | 16 या 8 जोड़े |
मटर | 14 या 7 जोड़े |
मेंढक | 24 या 12 जोड़े |
गेहूँ | 22 या 11 जोड़े |
आलू | 42 या 21 जोड़े |
मानव | 46 या 23 जोड़े |
ऐस्कैरिस मैगासिफेलस | 190 या 95 जोड़े |
अमीबा | 250 या 125 जोड़े |
गोरिल्ला | 48 या 24 जोड़े |
चिम्पैन्जी | 48 या 24 जोड़े |
मक्का | 20 या 10 जोड़े |
चूहा | 40 या 20 जोड़े |
घोड़ा | 64 या 32 जोड़े |
कुत्ता | 78 या 39 जोड़े |
घरेलू मक्खी | 12 या 6 जोड़े |
बिल्ली | 38 या 19 जोड़े |
FAQ: गुणसूत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न -- मानव में कितने गुणसूत्र होते हैं?
प्रश्न -- गेहूं में कितने गुणसूत्र होते हैं?
प्रश्न -- मटर में कितने गुणसूत्र होते हैं?
प्रश्न -- गुणसूत्र की खोज किसने की थी?
प्रश्न -- गुणसूत्र कब दिखाई देते हैं?
प्रश्न -- गुणसूत्र कहां पाए जाते हैं?
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