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जीवद्रव्य किसे कहते हैं? | भौतिक गुण

जीवद्रव्य को अकार्बनिक व कार्बनिक पदार्थों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि कोशिश (Cell) को जीवित साइटोप्लाज्म, नाभिक, प्लास्टिड और माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) का निर्माण करते हैं। यदि आप विस्तृत में जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

जीवद्रव्य किसे कहते हैं? | Jeev dravya kise kahate hai?

जीवधारियों की प्रत्येक कोशिका का संपूर्ण जीवित भाग जीवद्रव्य (Protoplasm) कहलाता है। इसकी खोज सन् 1835 में डुजारडिन (Dujardin) नामक वैज्ञानिक ने की थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने सारकोड (Sarcode) शब्द का उपयोग किया। उसके बाद सन् 1837 में पुरकिन्जे (Purkinje) नामक वैज्ञानिक ने इसका नाम प्रोटोप्लाज्म रखा।

जीवधारियों की प्रत्येक कोशिका का संपूर्ण जीवित भाग जीवद्रव्य (Protoplasm) कहलाता है।

जीवित कोशिकाओं में जीवद्रव्य के आविष्कार का श्रेय ह्यूगो वॉन मोल (Hugo Von Mohl) ने सन् 1846 में किया था, इन्हीं ने पादप कोशिश के जीवद्रव्य का महत्व बताया और वर्णन किया। जीवधारियों में होने वाली जैविक क्रियाएं जीवद्रव्य के द्वारा सम्पन्न होती हैं। इसीलिए सन् 1868 में थॉमस हक्सले (Thomas Huxley) ने जीवद्रव्य को 'जीवन का भौतिक आधार' (Physical basis of life) कहा।

जीवद्रव्य के भौतिक गुण

  1. यह एक रंगहीन, अर्द्धपारदर्शक, अर्द्ध-तरल व जैली के समान पदार्थ है।
  2. जीवद्रव्य वास्तविक विलयन, आलम्बनों तथा जटिल कोलॉयडी विलयन का गुण रखता है।
  3. यह बाहरी उद्दीपनों के प्रति संवेदनशील होता है। उद्दीप्त करने पर जीवद्रव्य सिकुड़ने लगता है, लेकिन उद्दीपक को हटाते ही वह फिर फैलने लगता है।
  4. जीवद्रव्य में बहुत-सी छोटी-छोटी बूंद (droplets), कणिकाएं (granules), रिक्तिकाएं (Vacuoles) व विभिन्न आकार की रचनाएं पाई जाती हैं।
  5. जीवद्रव्य के कोलॉयडी गुण के कारण इनमें लचीलापन तथा सुघट्यता, संकुचन तथा प्रसरण के गुण होते हैं।
  6. अन्य कोलॉयडी घोल की भांति जीवद्रव्य भी साल एवं जेल दो अवस्थाओं में पाया जाता है। यह दोनों एक-दूसरे में बदलते रहते हैं।
  7. साल के अंदर निलम्बित कण एक-दूसरे से टकराकर इधर-उधर घूमते रहते हैं। कणों की इस गति को 'ब्राउनी गति' (Brownian Movement) कहते हैं।

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