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रक्त किसे कहते हैं? | रक्त समूह | घटक

रक्त (Blood) एक जैविक तरल होता है, जिसको खून के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर में लहू वाहिनियों के अंदर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। यह रक्त कणों व प्लाज्मा से मिलकर बना होता है।

रक्त किसे कहते हैं?

यह एक तरल संयोजी ऊतक होता है, जो कि शिराओं के द्वारा हृदय में जमा होता है और धमनियों के द्वारा पुनः हृदय से संपूर्ण शरीर में परिसंचरित होता है।
यह एक तरल संयोजी ऊतक होता है, जो कि शिराओं के द्वारा हृदय में जमा होता है और धमनियों के द्वारा पुनः हृदय से संपूर्ण शरीर में परिसंचरित होता है।

रक्त का रंग लाल होता है, यह चिपचिपा-सा होता है। इसमें आर पार नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि यह अपारदर्शी होता है, लेकिन यह जल से भारी व हल्का क्षारीय द्रव होता है।

रक्त का मुख्य काम होता है, कि जब हम लोग सांस लेते हैं, तब मुंह व नाक के माध्यम से ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों तक जाती है। फेफड़ों से रक्त ऑक्सीजन को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है और वहां से कार्बन डाइऑक्साइड को फेफड़ों तक पहुँचा देता है। इसके बाद हमारे द्वारा नाक व मुंह के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।

रक्त समूह (Blood Group)

यह चार प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
  1. B
  2. AB
  3. O
रक्त को 4°C तापमान पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है।

रक्त के घटक

इसके मुख्य दो घटक होते हैं-

1.प्लाज्मा

यह एक पीले रंग का तरल द्रव होता है, यह रक्त का 55% से 60% भाग होता है। प्लाज्मा में 90 से 92 प्रतिशत जल होता है। शेष में से 7 प्रतिशत प्रोटीन, 0.1 प्रतिशत ग्लूकोज तथा 0.9 प्रतिशत लवण होता है।

प्लाज्मा शरीर के तापमान को नियंत्रित बनाए रखने के साथ ही रोगों से रक्षा करता है और जब हमारे शरीर में कहीं पर चोट लगने से घाव बन जाता है, तब यह घाव को भरने में सहायता करता है।

2. रक्त कणिकाएं


यह रक्त का लगभग 40 से 50 प्रतिशत भाग होते हैं, रक्त कणिकाएं तीन प्रकार की होती हैं, जिसके बारे में नीचे बताया है-

(i)लाल रक्त कणिकाएं या इरिथ्रोसाइट्स (RBC)

यह मनुष्य में छोटी, चपटी, गोल व दोनों ओर से बीच में दबी हुई होती हैं। इनमें केंद्रक नहीं होता है, इसमें लौहयुक्त प्रोटीन पाया जाता है, जिसको हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) कहा जाता है। हीमोग्लोबिन का रंग लाल होता है, इसके कारण ही, यह लाल रंग की होती हैं।


लाल रक्त कणिकाओं का जीवनकाल 120 दिन का होता है। यह पुरुषों में एक घन मिमी में 50 लाख व महिलाओं में 45 लाख होती हैं। लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण अस्थिमज्जा में होता है और टाइम पूरा हो जाने पर निधन या मृत्यु प्लीहा में होती है। इसलिए प्लीहा को लाल रक्त कणिकाओं‌ का कब्रिस्तान कहते हैं।

(ii)श्वेत रक्त कणिकाएं या ल्यूकोसाइट्स (WBC)

इनमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है, इसलिए यह श्वेत या सफेद रंग की होती हैं। इनका कोई आकार निश्चित नहीं होता है। श्वेत रक्त कणिकाओं में केंद्रक पाया जाता है। इनका जीवनकाल 10 से 13 दिन का होता है।


श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या लाल रक्त कोशिकाओं से कम होती है, यह मनुष्य में एक घन मिमी में 5 हजार से 9 हजार तक होती हैं। यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं-

  • कणिकारहित श्वेत रक्त कणिकाएं
  • कणिकामय श्वेत रक्त कणिकाएं
मनुष्य में श्वेत रक्त कणिकाओं का सामान्य से कम होना ल्यूकेमिया (Leukemia) कहलाता है और श्वेत रक्त कणिकाओं का सामान्य से कम होना ल्यूकोपीनिया (Leucopenia) कहलाता है।

(iii)प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट

यह भी मनुष्य के रक्त में पायी जाती हैं, इनका आकार अनिश्चित होता है और इनका व्यास 0.002 मिमी से 0.004 मिमी तक होता है। इनमें केंद्रक नहीं पाया जाता है, इनकी संख्या श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या से 40 गुना अधिक होती है। इनका निर्माण अस्थिमज्जा में होता है और इनका जीवनकाल केवल एक सप्ताह तक का होता है। प्लेटलेट्स का काम रक्त का थक्का बनाना है, जब हमें चोट लग जाती है, तब खून या रक्त बहने लगता है, तब यह रक्त का थक्का बना देता है, जिससे घाव ढककर धूल व जीवाणुओं से सुरक्षित हो जाता है।

रक्त के कार्य

यह एक तरल संयोजी ऊतक होता है, जो कि शिराओं के द्वारा हृदय में जमा होता है और धमनियों के द्वारा पुनः हृदय से संपूर्ण शरीर में परिसंचरित होता है।


इसके कार्य निम्न प्रकार से हैं-

1.जल संतुलन

रक्त जल संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह हमारे शरीर में आवश्यक जल को बनाए रखता है, जिसके कारण हमारा शरीर व त्वचा स्वस्थ बनी रहती है।

2.ऑक्सीजन परिवहन

हमारे शरीर में ऑक्सीजन को विभिन्न कोशिकाओं तक रक्त ही पहुँचाता है और साथ में ही हमारे फेफड़ों को भी ऑक्सीजन पहुँचाता है।

3.रक्त बहने से रोकने

दोस्तों, जब हमारे शरीर के किसी अंग में कट लग जाता है या घाव बन जाता है, तो रक्त बहने लगता है, तब रक्त की प्लेटलेट्स कणिकाएं घाव या कट पर रक्त का थक्का बनाकर घाव की रक्षा करती हैं।

4.कार्बन डाइऑक्साइड परिवहन

रक्त कार्बन डाइऑक्साइड परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके लिए रक्त हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में श्वसन क्रिया के उपरान्त बनी कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर फेफड़ों में भेजता है और वहां फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकल जाती है।

5.शारीरिक ताप का नियंत्रण

रक्त उच्च कोटि के जीव जैसे- मनुष्य, गाय, वानर आदि के शरीर के तापमान को नियंत्रित बनाए रखता है। क्योंकि रक्त के कारण ही प्रत्येक मौसम में हमारे शरीर का तापमान समान ही रहता है।

6.शरीर की सफाई

रक्त हमारे शरीर में मृत कोशिकाओं की सफाई करके सफाई बनाए रखता है। क्योंकि रक्त में श्वेत रक्त कणिकाएं शरीर में मृत कोशिकाओं के मलवे का भक्षण करके उसे इकट्ठा होने से बचाती हैं।

7.भोज्य पदार्थों का परिवहन

दोस्तों जब हम खाना खाते हैं, तब इसके बाद खाना का पाचन होता है, तब रक्त खाने से आवश्यक तत्वों को अवशोषित करके विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है।

8.उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन

रक्त हमारे शरीर में बनने वाले उत्सर्जी पदार्थों को बाहर निकालने में एक अहम भूमिका निभाता है। हमारे शरीर में जब यूरिया, अमोनिया व यूरिक अम्ल जैसे बने पदार्थों को रक्त उत्सर्जी अंगों तक पहुंचा देता है और वहां से इन अंगों द्वारा हमारे शरीर से पदार्थों को निकाल दिया जाता है।

9.रोगों से रक्षा

रक्त में उपस्थित श्वेत रक्त कणिकाएं हानिकारक विषाणुओं, जीवाणुओं आदि का भक्षण करके हमारे शरीर की सुरक्षा करती हैं।

10.हॉर्मोन्स का परिवहन

हमारे शरीर में उपस्थित अन्तःस्त्रावित ग्रन्थियों से निष्कासित या बहने वाले हॉर्मोन्स को रक्त ही सभी अंगों तक पहुँचाता है।

11.कोशिकाओं की उचित दशा

रक्त ऊतकीय द्रव में जल, लवण, अम्ल आदि की मात्रा का नियंत्रण करके कोशिकाओं की उचित दशा को बनाए रखता है।

अन्य जानकारी- 




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