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केन्द्रक किसे कहते हैं biology | संरचना | कार्य

केन्द्रक, कोशिश का अभिन्न अवयव है। इसको अंग्रेजी भाषा में 'Nucleus' और हिंदी भाषा में 'नाभिक' कहते हैं। यह शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है, जिसका हिंदी भाषा में अर्थ है "अखरोट की गुठली"

केन्द्रक किसे कहते हैं biology

यह कोशिश का महत्वपूर्ण भाग है, जो कि कोशिश की सभी उपापचयी क्रियाओं को कंट्रोल करता है। केन्दक में आनुवंशिक तत्व DNA पाया जाता है। इसका आविष्कार सन् 1831 में रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने किया था। यह आकार में गोल, अण्डाकार, घने गहरे रंग का जीवद्रव्य का एक विशेष भाग है। सामान्यतः प्रत्येक कोशिका में एक ही केन्द्रक (Nucleus) होता है।

केन्द्रक कहां पाए जाते हैं?

सभी जंतुओं व पौधों की समस्त यूकैरियोटिक कोशिकाओं में केन्द्रक पाया जाता है। लेकिन कुछ यूकैरियोटिक कोशिकाओं जैसे- स्तनधारियों की ऐरिथ्रोसाइट्स में केन्द्रक नहीं पाया जाता है अर्थात् केन्द्रक अनुपस्थित रहता है। विषाणुओं, जीवाणुओं व नीली हरी शैवाल में केन्द्रक नहीं पाया जाता है और इसमें केन्द्रक झिल्ली का अभाव रहता है। केन्द्रक की विकास व उत्पत्ति की अवस्था के आधार पर वैज्ञानिकों ने जीवों में पाई जाने वाली कोशिकाओं को दो समूहों में बांटा या विभाजित किया है। जिसमें से एक का नाम प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic) व दूसरे का नाम यूकैरियोटिक (Eukaryotic) है।

यूकैरियोटिक कोशिकाओं में केन्द्रक सुविकसित होता है और केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है। जिसमें कोशिकाद्रव्य भरा होता है। इसी द्रव्य में केन्द्रकीय क्रोमैटिन पाया जाता है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में सुविकसित केन्द्रक नहीं होता है। इनमें एकल व वर्तुल आदय होता है। जिसके अन्दर DNA अणु होता है और DNA कोशिश द्रव्य के सम्पर्क में होता है।

केन्द्रक की संरचना का वर्णन

इसके निम्नलिखित चार भाग होते हैं, जो कि निम्न से हैं-

  1. केन्द्रक-कला/केन्द्रकीय झिल्ली
  2. केन्द्रक-द्रव्य
  3. केन्द्रिका
  4. क्रोमैटिन धागे
यह कोशिश का महत्वपूर्ण भाग है, जो कि कोशिश की सभी उपापचयी क्रियाओं को कंट्रोल करता है। केन्दक में आनुवंशिक तत्व DNA पाया जाता है। इसका आविष्कार सन् 1831 में रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने किया था।

केन्द्रकीय झिल्ली (Nuclear Membrane)

केन्द्रक, कोशिका द्रव्य से एक अलग झिल्ली के द्वारा अलग होती है, जिसको केन्द्रक झिल्ली या कैरियोथीका कहते हैं। यह एक तरह की पारगम्य व रक्षक झिल्ली होती है यह झिल्ली केन्द्रक व कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थों के आवागमन को कंट्रोल करती है। 

यह प्लाज्मा झिल्ली की तरह ही दोहरी झिल्ली की बनी होती है। यह केन्द्रक के चारों ओर एक पतला स्तर बनाती है और इसकी प्रत्येक झिल्ली इकाई कला की बनी होती है। प्लाज्मा झिल्ली की भांति केन्द्रक झिल्ली एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semipermeable Membrane) होती है। केन्द्रक-कला प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अविकसित होती है या होती ही नहीं है।

यह झिल्ली कोशिका विभाजन के समय एण्डोप्लामिक रेटीकुलम के द्वारा विकसित होती है। सूत्री विभाजन के समय टेलोफेज में एण्डोप्लामिक रेटीकुलम की सिस्टर्नी गुणसूत्रों के चारों तरफ कुण्डलित हो जाती है और आपस में जुड़कर के केन्द्रकीय झिल्ली का निर्माण करती है। केन्द्रकीय झिल्ली का अध्ययन करने पर यह पता चलता है, कि यह दोहरी भित्ति से बनी होती है और इसमें एक निश्चित दूरी के बाद असंख्य होल बने होते हैं। इसकी आंतरिक झिल्ली, एण्डोकैरियोथीका (Endokaryotheca) व बाहरी झिल्ली को एक्टोकैरियोथीका (Ectokaryotheca) कहलाती है। इसकी बाहरी सतह खुरदरी होती है। ऐसा इसलिए होता है कि इस पर RNA के कण चिपकी हुई अवस्था में पाए जाते हैं और इसकी अंदरुनी सतह चिकनी होती है क्योंकि इस पर RNA अनुपस्थित होते हैं।

केन्द्रकीय झिल्ली पर असंख्य छोटे होल बने होते हैं, जिनको केन्द्रकीय छिद्र (Nuclear Pore) कहते हैं। इस झिल्ली के द्वारा केवल सूक्ष्म आयन्स जैसे- सोडियम, क्लोरीन व पोटैशियम ही अन्दर आ सकते हैं। केन्द्रकीय छिद्र काम्प्लेक्स की सहायता से केन्द्रक को छोड़ देती है।

केन्द्रकीय झिल्ली से पदार्थों का आवागमन

  • इस झिल्ली में पाए जाने वाले कुछ तत्व, केन्द्रकीय छिद्र के द्वारा अंदर पहुंचते हैं।
  • इससे सूक्ष्म अणु व आयन्स आसानी से आर-पार आ जा सकते हैं।
  • जब कभी केन्द्रकीय झिल्ली का कुछ भाग टूटता है तब वह कोशिश द्रव्य में घुल जाता है।
  • सूक्ष्म कण व बड़े अणु पहले वेसीकल्स का निर्माण करते हैं उसके बाद केन्द्रकीय झिल्ली के द्वारा साइटोसॉल में पहुंच जाते हैं।

केन्द्रक-द्रव्य (Nucleoplasm or Nuclear Sap)

केन्द्रक/नाभिक के मैट्रिक्स को केन्द्रक-द्रव्य कहते हैं। इसको अन्य नाम केन्द्रक रस या कैरियोलिम्फ के नाम से भी जानते हैं। केन्द्रक-द्रव्य न्यूक्लियोप्रोटीन का बना, पारदर्शी, कोलॉयडी व तरल पदार्थ होता है। यह पदार्थ केन्द्रक-कला (Nuclear Membrane) के अंदर भरा होता है और इसमें केन्द्रिका व क्रोमैटिन धागे भी उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा केन्द्रक (Nucleus) में एन्जाइम, खनिज लवण, आर.एन.ए. (RNA), राइबोसोम्स व क्रोमैटिन धागे भी पाए जाते हैं, जिसके बारे में निम्न प्रकार से है-

(A) लवण (Minerals)- केन्द्रक रस में अनेकों अकार्बनिक तत्व जैसे- सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम व मैग्नीशियम आदि पाए जाते हैं केन्द्रक द्रव्य में कई एन्जाइमैटिक क्रियाएं होती हैं। क्योंकि इसमें कई एंजाइम्स घुलित अवस्था में पाए जाते हैं। इसके अलावा कोशिश विभाजन में केन्द्रक द्रव्य स्पिंडल तंतुओं का निर्माण करता है।

(B) एंजाइम्स (Enzymes)- इसमें कई तरह के एंजाइम्स पाए जाते हैं। यह एंजाइम्स RNA व DNA संश्लेषण के लिए अनिवार्य होते हैं। इनमें से अधिकांश केन्द्रकीय एंजाइम्स अम्लीय प्रोटीन्स के द्वारा बने होते हैं।

(C) न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic acid)- यह केन्द्रक द्रव्य में DNA व RNA के रूप में पाए जाते हैं।

(D) लिपिड्स (Lipids)- सन् 1935 में स्टोनबर्ग (Stone berg) व सन् 1955 में डाउन्स (Dounce) ने बताया कि केन्द्रक द्रव्य में बहुत कम मात्रा में लिपिड भी पाया जाता है।

(E) प्रोटीन्स (Proteins)- केन्द्रक द्रव्य में कई तरह के प्रोटीन्स होते हैं। जिसको न्यूक्लियो प्रोटीन्स कहते हैं। यह दो तरह के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-

  1. अम्लीय प्रोटीन्स (Acidic Proteins)- इसको नॉन हिस्टोन प्रोटीन्स भी कहते हैं। यह प्रोटीन्स क्रोमैटिन/केन्द्रक द्रव्य में पाए जाते हैं।
  2. क्षारीय प्रोटीन्स (Basic Proteins)- ऐसे प्रोटीन्स, जिनमें क्षारीय स्टेन होता है, वह बेसिक प्रोटीन्स कहलाते हैं। न्यूक्लियो हिस्टोन्स व न्यूक्लियोप्रोटेमाइन्स मुख्य क्षारीय प्रोटीन्स हैं। न्यूक्लियो हिस्टोन्स का निर्माण कुछ आधारीय अमीनों अम्लों जैसे- हिस्टीडिन, आरगीनाइन व लाइसिन आदि से होता है। हिस्टोन्स अधिकांश जीवों के न्यूक्लियाई में पाए जाते हैं। यह DNA से संबंधित होते हैं और न्यूक्लियोप्रोटेमाइन्स सरल आधारीय प्रोटीन्स है, जिसका आण्विक भार बहुत कम होता है।

केन्द्रिका (Nucleolus)

केन्द्रिका का आविष्कार (Invention) सबसे पहले सन् 1781 में फोन्टाना (Fontana) ने किया था। उसके बाद सन् 1840 में बोमैन (Bowman) ने, इसका नाम नाभिक (Nucleus) दिया। केन्द्रक के अंदर एक या दो केन्द्रिकाएं होती हैं। जिसमें आर.एन.ए. (RNA) व प्रोटीन (Protein) पाए जाते हैं। यह किसी झिल्ली के अभाव में सीधे केन्द्रक-द्रव्य के कांटेक्ट में रहते हैं।

केन्द्रिका (Nucleolus) प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में नहीं पाए जाते हैं और यह कोशिश विभाजन के समय गायब हो जाते हैं। इसमें प्रोटीन 85%, आर.एन.ए. 10% व डी.एन.ए. 5% होते हैं।

क्रोमैटिन धागे (Chromatin threads)

केन्द्रक द्रव्य में गहरे रंग लेने वाले पदार्थ की धागों की तरह की रचनाएं होती हैं, जिन्हें क्रोमैटिन धागे या क्रोमोनेमा (Chromonema) कहते हैं। यह धागे एक -दूसरे के ऊपर फैलकर एक जाली जैसी रचना बना लेते हैं, जिसको क्रोमैटिन जालिका (Chromatin Reticulum) कहते हैं और जब कोशिश विभाजन होता है, तब उस समय यह धागे एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और सिकुड़कर छोटे व मोटे हो जाते हैं, जिनको गुणसूत्र (Chromosomes) कहते हैं। क्रोमैटिन पदार्थ दो प्रकार के होते हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं-

(i) हेटरोक्रोमैटिन (Heterochromatin)- अंतरावस्था (Interphase) में गुणसूत्र का क्रोमैटिन पदार्थ महीन तन्तुओं के रूप में पूरे कोशिका द्रव्य में फैल जाते हैं लेकिन यह कुछ स्थानों सघन होकर गहरा स्टेनयुक्त क्रोमैटिन मास (Chromatin Mass) बनाता है। इस सघन क्षेत्र को हेटरोक्रोमैटिन (Heterochromatin) कहते हैं। इसके अलावा सघन क्षेत्र को कैरियोसोम्स, क्रोमोसेन्टस्त्र या असत्य न्यूक्लियोलाई भी कहते हैं। हेटरोक्रोमैटिन, केन्द्रिका के चारों तरफ एक परिधि में स्थित होते हैं। इसमें DNA अल्प मात्रा में व RNA की अधिक मात्रा होती है। इसलिए यह उपापचयी तथा आनुवंशिक रूप से अक्रिय होते हैं। हेटरोक्रोमैटिन के निम्न कार्य हैं-

  • इसके कारण DNA का ट्रांसक्रिप्शन तथा द्विगुणन होता है।
  • यह अर्धसूत्री विभाजन के समय समजात गुणसूत्रों की जोड़ी बनाने के लिए आकर्षित करता है।
  • हेटरोक्रोमैटिन, क्रोमोसेंटर के निर्माण में सहायक होता है।
  • कोशिश विभाजन के समय सेन्ट्रोमेरिक हेटरोक्रोमैटिन गुणसूत्रों के विभाजन में सहायक होता है। 

(ii) यूक्रोमैटिन (Euchromatin)- यह क्रोमैटिन का हल्का स्टोन युक्त वितरित क्षेत्र होता है। इसमें हेटरोक्रोमैटिन की तुलना में DNA अधिक मात्रा में होता है।

केन्द्रक के कार्य का वर्णन

  • इसमें आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता है। यह पदार्थ ही जीव के लक्षणों की वंशागति के लिए उत्तरदायी होता है।
  • केन्द्रक ही कोशिका में होने वाली सभी जैव-क्रियाओं को कंट्रोल करता है। इसलिए केन्द्रक (Nucleus को कोशिश (Cell) का नियन्त्रण कक्ष (Control room) कहते हैं।
  • यह ही कोशिका विभाजन (Cell Division) के लिए उत्तरदायी होता है, जिस वजह से कोशिकाओं की संख्या में व जीव के शरीर में वृद्धि होती है।
  • समसूत्री विभाजन में सक्रिय योगदान करता है।

FAQ: गुणसूत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न -- केन्द्रक की खोज किसने की थी?

उत्तर --केन्द्रक की खोज सन् 1831 ई. में रॉबर्ट ब्राउन ने की थी।

प्रश्न -- केन्द्रक के कितने भाग होते हैं?

उत्तर --इसके मुख्य चार भाग होते हैं- केन्द्रक कला, केन्द्रक द्रव्य, केन्द्रिका व क्रोमैटिन धागे आदि।

प्रश्न -- केंद्रक की खोज कब हुई

उत्तर --केंद्रक की खोज सन् 1831 में हुई थी।
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