Advertisement

Responsive Advertisement

साम्राज्यवाद किसे कहते हैं? | विशेषताएं

किसी शक्तिशाली, सम्पन्न व उन्नत देश का, किसी कमजोर, विपन्न व पिछड़े देशों पर अपना अधिकार जमाने की इच्छा को साम्राज्यवाद कहा जाता है। 'साम्राज्यवाद' अंग्रेजी भाषा के शब्द 'इम्पीरियलिज्म' का हिंदी रुपान्तरण है। 'इम्पीरियलिज्म' शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'इम्पेरियम' से बना है, जिसका अर्थ 'शक्ति' है, अर्थात् साम्राज्यवाद का अर्थ है, किसी राष्ट्र की शक्ति या शासन को किसी अन्य राज्य के राजनीतिक एवं आर्थिक जीवन पर थोपना। सही शब्दों में साम्राज्यवादी देश को मेट्रोपोलिस कहा जाता है।

साम्राज्यवाद किसे कहते हैं?

साम्राज्यवाद वह प्रवृत्ति है जिसके द्वारा कोई शक्ति सम्पन्न राष्ट्र निर्बल अथवा अविकसित राष्ट्र पर अपनी शक्ति अथवा छल बल से अपने आर्थिक एवं राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए अपना प्रभुत्व स्थापित करता है।"

दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह वह राजनीतिक स्थिति है जब एक देश दूसरे देश को अपने अधीन कर लेता है तथा अधीन देश अपनी स्वतंत्रता खो देता है। वास्तव में साम्राज्यवाद पूंजीवाद की सर्वोच्च व्यवस्था है। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप पूंजीवाद का जन्म हुआ और पूंजीवाद को दृढ़ता देने के लिए अनेक देशों ने साम्राज्यवाद का सहारा लिया। सामान्य रूप से साम्राज्यवाद को पूंजीवादी एकाधिकार माना गया है। अनेकों विद्वानों ने साम्राज्यवाद की परिभाषा निम्न प्रकार से दी है, जो कि निम्न प्रकार से है-

शूमां के अनुसार, "साम्राज्यवाद शक्ति और हिंसा के द्वारा किसी राष्ट्र के नागरिकों पर विदेशी शासन थोपना है।"

मॉर्गेन्थो के अनुसार, "एक देश के द्वारा अपने राज्य की सीमाओं के बाहर शक्ति का विस्तार करना ही साम्राज्यवाद है।"

डॉ. सम्पूर्णानंद के अनुसार, "साम्राज्यवाद वह अवस्था है, जिसमें पूंजीवादी राज्य शक्ति के बल पर दूसरे देशों के आर्थिक जीवन पर नियन्त्रण स्थापित करते हैं।"

पामर व परकिन्स के अनुसार, "साम्राज्यवाद की विवेचना, निन्दा और रक्षा की जा सकती है और इसके लिए प्राणों का बलिदान किया जा सकता है, लेकिन इसकी ऐसी परिभाषा नहीं दी जा सकती है, जो कि सभी को मान्य हो।"

मोरटि्ज जूलियन बोन के अनुसार, "साम्राज्यवाद एक ऐसी नीति है, जिसका उद्देश्य एक साम्राज्य का निर्माण, संगठन और अनुरक्षण करना होता है, जो थोड़ी-बहुत भिन्न प्रकार की राष्ट्रीय इकाइयों के संयोग से बना हो और एक केन्द्रीकृत इच्छा के अधीन हो।"

इन सभी परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट होता है, जो कि 'साम्राज्यवाद' एक व्यापक शब्द है और इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार प्रकार की विस्तारवादी प्रक्रिया आ जाती है।

साम्राज्यवाद की विशेषताएं

  1. साम्राज्यवादी मुख्यत: पूंजीवादी होते हैं। यह अपने से कमजोर का शोषण करके ही अधिक धन कमाते हैं।
  2. साम्राज्यवादी देश विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में अपना प्रभाव क्षेत्र स्थापित करते हैं।
  3. साम्राज्यवादी देश अपने अधीनस्थ उपनिवेशों या देशों के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित कर लेते हैं।
  4. साम्राज्यवादी देश अधीनस्थ देश के मूल साधनों का उपयोग अपने आर्थिक एवं राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए करते हैं। इसके लिए वह किसी देश पर प्रत्यक्ष आधिपत्य करते हैं या उसे उपनिवेश बनाकर अपने अधीन करते हैं।
  5. साम्राज्यवाद सैनिक अथवा दूसरे साधनों के द्वारा और खासतौर पर उपनिवेशवाद के द्वारा स्थापित किया जा सकता है।

Post a Comment

0 Comments